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'भोगनेवाले प्राणी और सृजन करने वाले कलाकार में सदा एक अंतर रहता है, और जितना बड़ा कलाकार होता है, उतना ही भारी यह अंतर होता है...'
(7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987)
Bhut achha 🙏🏻
ऐसे में उदास हो जाना उदासीन हो जाना या पागल हो जाना भी स्वाभाविक किसी बड़ी बेहया धातु के बने हुए वे, जो ऐसे में भी हैं, गाते ...
Bhut achha 🙏🏻
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